ठंड में ऐसे खाएं अखरोट क्योंकि ये है एक कमाल
की दवा
देवताओं की भूमि हिमालय अपने अन्दर अनेक दिव्य
औषधियों को समेटे हुए है। देवभूमि शायद इन औषधीय वनस्पतियों की उपलब्धता के कारण ही
प्राचीन काल से ही ऋषिमुनियों की साधना व तपस्या का केंद्र रही है। ऐसे ही कई गुणों
को समेटे हुए एक पेड़ जिसे हम अखरोट के नाम से जानते हैं अनेक औषधीय गुणों से युक्त
होता है। जंगली अखरोट एवं कागजी अखरोट नाम
की दो जातियों से जाना जाने वाला यह पेड़ अपने फलों के कारण प्रसिद्ध है। आइए अब हम
आपको इसके कुछ औषधीय प्रयोग के बारे में जानकारी देते है।
खून में
कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और पेट संबधी समस्याओं को दूर करता है। यह इस तरह बेहतर
पाचन में मदद करता है और अधिक कैलोरी जलाता है। इसलिए आप दिन में 2-3 अखरोट खा कर अपना
वजन कम कर सकते हैं। अखरोट में फाइबर, विटामिन बी, मैगनेशियम और एण्टी् आक्सिडेंट्स
अधिक मात्रा में होते हैं और यह बालों व त्वचा को स्वस्थ रखता है।
मुनक्के खाने व इसके ऊपर दूध पीने से वृद्धों को
बहुत फायदा मिलता है। अखरोट खाने में थोड़ी सावधानी रखना चाहिए। चूँकि अखरोट गर्मी
करता है और कफ बढ़ाता है इसलिए एक बार में 5 से ज्यादा अखरोट न खाएँ।
अखरोट
कैंसर को प्राकृतिक तरीके से सही कर सकता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होता है, जो कैंसर
सेल को इकठ्ठा होने से रोकता है। अखरोट ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में सबसे लाभदायक माना
जाता है। इसके अलावा यह ट्यूमर को भी बनने से रोकता है।
अखरोट
के फलों की गिरी को पांच से दस ग्राम,छुहारे बीस से तीस ग्राम और बादाम पांच ग्राम
की मात्रा में एक साथ मोटा-मोटा कूटकर गाय के घी में भूनकर प्राप्त चूर्ण में थोड़ी
मिश्री मिलाकर दस ग्राम नित्य प्रात:काल सेवन, डायबिटीज को दूर करता है।
-अखरोट के फलों के कठोर आवरण को जलाकर भस्म प्राप्त
करें तथा अब इसमें पांच से दस ग्राम मात्रा में गुड़ मिला दें ,अब इसे पांच से दस ग्राम
की मात्रा में प्री- प्रीमेच्युर -इजेकुलेशन से पीडि़त रोगी को दें निश्चित लाभ मिलेगा।
इसकी छाल से प्राप्त काढ़े से घाव को धोने
यह उसे शीघ्रता से भरने (हीलिंग ) का भी काम
करता है।
-अखरोट
के पेड़ छाल का काढा पेट के कीड़े खत्म कर देता है।महिलाओं में -अखरोट के फल के बाह्य
कठोर आवरण को तोड़कर अन्दर की गिरी को 10 से
20 ग्राम की मात्रा में गाय के गुनगुने दूध
से रोजाना सेवन करना रसायनगुणों से युक्त अर्थात शारीरिक क्षय को रोकने वाला प्रभाव देता है। अखरोट के पेड़ की छाल को मुंह में
रखकर चबाने से मुख रोगों में लाभ मिलता है तथा फल के बाहरी कठोर आवरण को चूर्ण बनाकर
आग में जलाकर भस्म कर मंजन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।माहवारी से सम्बंधित
समस्याओं में फल के कठोर आवरण को चूर्ण बनाकर 20 से 25 मिली की मात्रा में शहद के साथ
पिलाने से लाभ मिलता है। इसी काढ़े का प्रयोग सुबह शाम सेवन करने से कानस्टीपेशन को
दूर होता
है।
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